मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

उम्मीदों का चिराग अभी बुझा नही है



उम्मीदों का चिराग अभी बुझा नही है ।
तेरे दिल से मेरा दिल अभी उलझा नही है ।।
तुम क्या जानोगी, ये दिल की बाते है ।
यहां हार-जीत नही होती, ये जुआ नही है ॥ 
दिल तुम्हारा मुझसे करता है दिल्लगी, 
शायद तुम्हे प्यार मुझसे हुआ नही है ॥
कट जाता जिन्दगी का सफ़र आहिस्ता, मगर,
मेरे संग तेरे दिल की दुआ नही है ॥
सारे गमों को मैने अपने सीने में समा लिया ।
मेरा दिल तो दरिया है, कुआ नही है ।

                                                            -अंकित कुमार 'नक्षत्र' 

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