सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

वो मुझे देखती थी ज़ब भी


वो मुझे देखती थी ज़ब भी
हंसती, मुस्काती रहती थी ॥
ज़ाने क्या सोचा करती थी
हरदम इठलाती रहती थी ॥
ज़ब हुआ परेशां मै थोडा
फ़िर मै उसके नज़दीक गया ॥
पूछा उससे सीधे मैने
क्यो ऐसे करती रहती हो ॥
ना बोली वो कुछ भी मुझसे
आंखो से सब कुछ कह दिया ॥
मेरे अंदर भी मौन हुआ
नज़रों ने ऐसा ज़ादू किया ॥

सब कुछ लुटा देंगे


सब कुछ लुटा देंगे हम भी तेरा प्यार पाने के बाद ॥
क्या-क्या सोचा था हमने तेरे मुस्कुराने के बाद ॥
तुम किसी और की निगाहों में बस गए ॥
और हमारे ख्वाब अधूरे रह गए तेरे ज़ाने के बाद ॥

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

वो ठंडी-ठंडी हवा


वो ठंडी-ठंडी हवा
और तुम्हारी ज़ुल्फ़ों का लहराना ॥
वो छोटी-छोटी बूंदे
और तुम्हारा शरमा ज़ाना ॥
वो बादल का गरज़ना
और मेरे सीने से लिपट ज़ाना ॥
आज़ भी याद आता है
तुमसे मिल कर बिछुड ज़ाना ॥

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

ना आना तुम कभी



ना आना तुम कभी मेरी नज़रों के सामने
ये दिल तो पहले ही लहुलूहान हुआ ज़ाता है ॥
कैसे समझाऊं इस नादां दिल को, ये तो
छोटी-छोटी बातों पर परेशान हुआ ज़ाता है ॥

रविवार, 16 अक्तूबर 2011