अश्कों मे खोना चाहता हूं ।
मै दिल से रोना चाहता हूं ।
जो दाग दिये मैने तुझको,
मै उनको धोना चाहता हूं ।
जागा हूं गहरी निद्रा से,
ना अब मै सोना चाहता हूं ।
तेरे दिल की गलियों में मै,
छोटा सा कोना चाहता हूं ।
तेरे गम की परछाई का,
ना बोझा ढोना चाहता हूं ।
तुझको समेट आंचल मे मै,
सम्पूर्ण होना चाहता हूं ।
-अंकित कुमार 'नक्षत्र '
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