सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

काश वो चेहरे को



काश वो चेहरे को, नकाब से छिपा लेते,
ये बेहयापन दिल का दिल में ही दबा रहता।।
ये उम्र भर का रोग सीने से लग बैठा ,
ना उनका पता रहता, ना खुद का पता रहता।।

- अंकित कुमार 'नक्षत्र '