शनिवार, 29 दिसंबर 2012

सारे शहर की गलियों में


सारे शहर की गलियों  में,  छानी  ख़ाक जिसके  लिए 
क्या मालूम था वो 'नक्षत्र' मेरे दिल में छुपा बैठा है 

-अंकित कुमार 'नक्षत्र ' 

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