सोमवार, 22 सितंबर 2014

शनिवार, 20 सितंबर 2014

शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

तेरे दिल से चले तो


तेरे दिल से चले तो बातो मे उलझ गए ।
जब बातो से चले तो यादों मे उलझ गए ।।

तेरे प्यार को जोडा था मैने कतरा-कतरा करके।
आज उन कतरनो में प्यार की खुद ही उलझ गए ।

मंगलवार, 9 सितंबर 2014

बडा नादान है ये दिल

बडा नादान है ये दिल औ कितना नासमझ भी है ।
इसे इज्जत नही दिखती, इसे नफरत
नही दिखती ।।

ये परवा ही नही करता सिवाय चाहने वालो के ।
इसे दौलत नही दिखती,  इसे शौहरत
नही दिखती ।।

प्यार के ढाई अक्षर में ये कितना उलझा हुआ है ।
इसे बाते नही दिखती,  इसे रातें
नही दिखती ।।

कैसा बेचैन होता है ये, इसका हाल तो देखो ।
इसे जीवन नही दिखता,  इसे मृत्यु
नही दिखती ।।

अपनी ही धुन में मस्त होता जा रहा 'नक्षत्र'
इसे मंजर नही दिखता,  इसे हस्ती
नही दिखती ।।

सोमवार, 8 सितंबर 2014

उन्हे हमसे भी है नफरत,

उन्हे हमसे भी है नफरत, हमारी आशिकी  से भी ।

ना खुद को भूल पाता हूं, ना उन को भूल पाता हूं ।।

वो बेवफा कहती थी

वो बेवफा कहती थी उसे प्यार बहुत है ।

औ हमारे दो आंसू भी वो संभाल ना सकी ।।

प्यार मे तू कितना बेबस

प्यार मे तू कितना बेबस  हो गया नक्षत्र ।

ना दिल  से छोड पाता है , ना दिल  से छूट पाता है  ।।

जिंदगी कुछ ऐसे

जिंदगी कुछ ऐसे निकल गई आंखों  से ।

रेत जैसे फिसल जाए मुट्ठी बंद हाथों से ।।

कहूंगा कुछ शब्द अपने

कहूंगा कुछ शब्द अपने आंसुओं की जबानी ।

बिखर जाएगी  शहर मे दर्द-ए-दिल की कहानी ।

रविवार, 7 सितंबर 2014