शनिवार, 29 सितंबर 2012

दीवानगी उनकी


हालात बद से बदतर होते चले गए ।
हम तेरे प्यार में खोते चले गए ॥
तुम मेरी दीवानगी के हो गए थे कायल ।
क्यों मेरी नज़रों से दूर होते चले गए ॥
इंतज़ार तेरा कुछ इस तरह से किया है ।
आंखें खोलकर भी हम सोते चले गए ॥
जुदाई से तेरी, हालात बने कुछ ऐसे ।
हम खुद को अश्कों में डुबोते चले गए ॥
जब आंखें भी तेरी तरह हो गई बेवफ़ा ।
हम दिल के सहारे ही रोते चले गए ॥
खुदा से भी बढकर तुझे चाहा था हमनें ।
सारे अरमां दिल मे दफ़न होते चले गए ।।
तुमने तो वापस मुडकर भी नही देखा, और,
हम अंजान हाथों कत्ल होते चले गए ॥

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

आख़िरी पैगाम


यामत के दिन नज़दीक है शायद
कातिलों की जुबां पे मेरा नाम गया
यादों ने मेरी तकल्लुफ़ किया होगा उन्हे
एक खत आज फ़िर बेनाम गया
जाने कितने दिन की बची है ज़िन्दगी
आज फ़िर मौत का पैगाम गया
जीना तो भूल गये थे उनकी जुदाई से
आज शायद आखिरी अंजाम गया
खंज़र जो चुभाया उसने मेरे सीने मे
दर्द --दिल को मेरे भी आराम गया

सोमवार, 24 सितंबर 2012

और बात होती


हम तो तेरी गलियों मे आते ही रहते है ।
अगर तुम मेरे दर पे आते, तो और बात होती ॥
लोग तो हमको समझाते ही रहते है ।
अगर तुम हमे समझाते, तो और बात होती ॥
दर्द तो दुनिया से मिलता ही रहता है।
अगर तुम दिल दुखाते तो और बात होती ॥
लोग तो हमको सताते ही रहते है ।
अगर तुम हमे रुलाते तो और बात होती ॥
मौत तो हमको भी आनी है एक दिन ।
अगर तुम कत्ल कराते , तो और बात होती ॥


शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

स्वीटी-पुन:आगमन


ना जाने कितने दिनो बाद आज कुछ लिखने का दिल किया, जी मे आया कि अपनी भावनाओं को, अपने ज़ज़्बातों को शब्दों मे उकेर दूं । 

स्वीटी वापस आ गई है, उसे आना ही था । आखिर कब तक कोई अपने प्रेमी से बिछुड कर रह सकता है । जब वो वापस आई, ऐसा लगा जैसे वर्षों के प्यासे को अमृत-कलश मिल गया हो, जैसे सदियों से बंजर जमीन मे अचानक हरी-भरी फ़सल लहलहा उठी हो, जैसे गर्म रेत पर पडी तडप रही मछली को किसी ने वापस समुद्र मे फ़ेंक दिया हो । वो क्यों वापस आई, ये जानने की मैने कोई कोशिश नही की । उसका वापस आना ही मुझे सुकून दे रहा था ।

स्वीटी ने मुझसे पूछा कि क्या मै अभी भी उससे प्यार करता हूं । मै उसे कैसे समझाऊ कि प्यार एक अहसास होता है, जो होने को तो पल भर मे हो सकता है, और अगर ना हो तो सदियां बीत जाए । ये अहसास तो मुझे तुम्हे देखकर ही हो गया था । मै तभी से इस अहसास को दिल में समाए हूं । तुम मुझसे प्यार के बारे मे पूछती हो । जहां प्यार होता है, वहां सिर्फ़ प्यार ही होता है, नफ़रत के लिए कोई स्थान नही होता और अगर नफ़रत होती भी है तो इसका अर्थ यही है कि वहां प्यार था ही नही, नफ़रत दबी हुई थी कही गहरे मे, जो अब सामने आई है ।

लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कुछ खो सा गया है । स्वीटी कुछ बदली-बदली सी लग रही है । नही, ये वो स्वीटी नही है, जिसे मैने प्यार किया था, जिसकी तस्वीर को मै सीने से लगाकर रखता था, जिसके शब्द मेरे कानों मे बारम्बार गूंजते रहते थे, जिसकी यादे, भरी महफ़िल मे भी मेरा पीछा नही छोडती थी, जिसकी सांसों की आवाज़ और दिल की धडकन को मै अच्छे से पहचानता था । 

ना जाने क्यों उससे मिलकर भी मै उससे मिल नही पाया, उसे देखकर भी देख नही पाया, उसे सुनकर भी सुन नही पाया । मै चाहकर भी उसके लिए प्यार को महसूस नही कर पाया । उसके जाने के बाद शायद कुछ टूट सा गया है मुझमे, जो चाहकर भी जुड नही पाता । एक उदासी घर कर गई है इस दिल में । अब तो तमन्ना ही खो गई है किसी को प्यार करने की या किसी का प्यार पाने की । 

मै नही चाहता कि इतिहास की पुनरावृत्ति हो और मै फ़िर से दु:ख के बादलों से घिर जाऊँ । मन कुछ ऐसा कहता है कि अच्छा होगा अगर स्वीटी वापस चली जाए तो । वो आई तो वापस जाने के लिए ही है, तो मै क्यों कुछ दिन के लिए अपने दिल को बहलाऊं, क्यो फ़िर से वही दर्द, वही तडप, वही उदासी झेलूं, जिससे मै बडी मुश्किल से उबर पाया हूं । 

शायद स्वीटी के मन मे अपराधबोध है, उसे ऐसा लगता है कि उसने मेरा दिल तोडा है । मै उससे बेपनाह मुहब्बत करता था और उसने मुझे ठुकरा दिया, मेरी कद्र नही की । लेकिन इस कारण से मेरे मन मे उसके प्रति कोई द्वेष भावना नही है । वैसे भी सच्ची मुहब्बत के कद्रदान आजकल मिलते कहाँ है । स्वीटी ने मुझसे कहा कि मै उसे माफ़ कर दूं । मगर मै तो समझ ही नही पाया कि किस बात के लिए । माफ़ तो मै तब करता, जब मुझे लगता कि उसने कुछ गलत किया है । गलत तो मै था स्वीटी जो तुमसे मौहब्बत कर बैठा । 

स्वीटी मेरी तुमसे एक ही विनती है कि जितनी जल्दी हो सके, मुझसे और मेरी दुनिया से दूर, इतनी दूर चली जाओ कि मै  पुकारुं भी तो तुम सुन ना सको और ना ही तुम कभी वापस आ सको । अगर तुम वास्तव मे चाहती हो कि मै खुश रहूं तो मेरी नज़रों से हमेशा दूर ही रहना । अगर तुम मुझे दिखोगी तो मेरे दिल मे तुम्हे पाने के लिए हलचल होगी और फ़िर वही सब होगा जिसके बारे मै सोचने भर से ही मेरी रूह काँप उठती है । 
अलविदा स्वीटी, अलविदा । 

जाते-जाते इक शे'र तुम्हारे लिए………

तुम भूल जाओ हमको, ये हक है तुम्हे ।
मेरी बात और है, मैने तो मौहब्बत की है ॥