शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

हमारी राष्ट्रीय भाषा



हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं । अगर आप उत्तर भारत मे रहते है तो बेशक आपको लगेगा कि हिंदी ही हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं । लेकिन दक्षिण भारत मे जाने के बाद आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि क्या हिंदी ही हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं ? क्योंकि आपको वहां हिंदी में कुछ लिखा नही मिलेगा । वहां पर केवल अंग्रेजी या फ़िर कोई क्षेत्रीय भाषा प्रयोग मे लाई जाती है । और अगर हिंदी मे कुछ लिखा भी होगा तो वो कुछ इस तरह होगा कि आपको अफ़सोस होगा कि हमारी राष्ट्रीय भाषा का ऐसा अपमान । इससे अच्छा तो यही है कि अगर आपको हिंदी नही आती, तो आप उसका प्रयोग ना करें ।



रविवार, 20 नवंबर 2011

स्वीटी… (सिर्फ यादें )


स्वीटी…

जब इस दिल के किसी कोने में तुम्हारी याद का दिया ज़गमगाता है, तो मेरा पूरा वजूद बस तुम पर सिमट कर रह जाता है । देखता हूं तो तुम्हारा चेहरा, सोचता हूं तो तुम्हारी बातें । तुम्हारी याद एक धुंधली सी तस्वीर से शुरु होती है । उसी चेहरे की तस्वीर, जिसे पहली बार इन निंगाहों ने देखा था और उम्र भर के लिये अपने दिल मे कैद कर लिया था । वही तस्वीर, जिसका ख्याल तक अगर दिल में आ जायें, तो हाथ खुद-ब-खुद दिल को सम्भालने के लिये उठ जाते है । या फ़िर यूं कहो कि……

तेरा दीदार करते ही रब का ख्याल आया ॥
अब ना कोई हसरत बाकी रही दिल में ॥

कैसे कोई इंसान सिर्फ़ यादों के सहारे सारी उम्र गुजार सकता है । यकीन नही होता ना । मुझे भी नही होता था । लेकिन अब सोचता हूं कि कितना गलत था मै । यादें बहुत खूबसूरत होती है । तो क्या उनके साथ ज़िंदगी नही बितायी जा सकती ।

ज़िंदगी तो तभी ज़ी चुके हम ॥
जब नज़र भर के देखा था उन्होने ॥

अब तो बस जी रहे है, यूं ही । शायद कभी उन्हे अहसास हो हमारे दीवानेपन का । और वो लौट आए हमारी बांहों में । खुदा जाने क्या लिखा है हमारी किस्मत में, उनका दीदार या फ़िर इन्तज़ार, इन्तज़ार और सिर्फ़ इन्तज़ार…………।
अब इस दिल का हाल ना पूछो, मुझसे कुछ कहा नही जाता । आखिर क्यों होता है ऐसा ? क्यों कोई दिल में इस तरह से समा जाता है कि किसी और के लिये जगह ही नही बचती । क्यों उसकी यादों को सीने से लगाए बैठा हूं मै, ये जानते हुए भी कि इस राख के ढेर में कुछ भी नही मिलने वाला । लेकिन क्या सिर्फ़ किसी को हासिल कर लेने को ही प्यार कहते हैं । प्यार तो दिल मे होता हैं और उसे दिखावे की जरूरत नही । ये जानते हुए भी, कि वो कभी लौट कर नही आयेगी, मैने उसे जाने दिया । और शायद ही अब कभी उससे मुलाकात हो ।

ना जाने अब उनसे मुलाकात कब होगी ॥
निकल पडे है हम भी अजनबी राहों पर ॥

मंगलवार, 15 नवंबर 2011

इकरार भी कैसा कराया



इकरार भी कैसा कराया उस जालिम ने, जरा देखो तो सही ॥
रोकना पडता है अश्कों को भी पलकों पे मचलने से पहले ।।

तेरा दीदार करते ही



तेरा दीदार करते ही रब का ख्याल आया ॥
अब ना कोई हसरत बाकी रही दिल में ॥

शनिवार, 12 नवंबर 2011

स्वीटी - सिर्फ तुम


स्वीटी,

सिर्फ़ एक याद बनकर रह गई हो तुम । हम तो तुम्हारी यादों को इस दिल से लगाए बैठें है । आखिर कब तक इस दिल को यूं ही तडपना होगा तुम्हें याद करके ।

लोग कहते है एक बार शराब चख लो, सारे गम भूल जाओगे । और जो नही पीता, उसे पिलानें वाले भी बहुत मिलते है । लेकिन तुम्हारा ख्याल करते ही बस यही सोचता हूं कि जिसने तुम्हारी आंखों की शराब को चख लिया, उसके लिए कोई नशा बाकी ना रहा । और फिर वो नादान क्या ज़ानें कि……

" ज़ाम छूते ही आता है ख्याल मेरे दिल मे,
तौहीन ना हो ज़ाए कही उनकी निंगाहो की "

एक ही तमन्ना है इस दिल की । बस एक बार दीदार हो जाए उनका, तो इस दिल को सुकून मिल जाएगा । अब तो एक ही गुजारिश करते है…………

" मज़बूर करके मेरे दिल को यार ले चलो
उसकी गली मे फ़िर मुझे इक बार ले चलो "

उम्मीद तो नही है कि उनसे मुलाकात होगी । लेकिन खुदा इतना भी बेरहम नही हो सकता । कभी-ना-कभी, कहीं-ना-कहीं तो वो ज़रूर मिलेंगी इन नज़रों को ।

अब तो बस तुम्हारी यादों के सहारें ही ज़िंदगी कट रही है । ऐसा कोई पल नही, जब तुम्हारी याद इस दिल को ना छूती हो । कभी तुम्हारी बातें, कभी तुम्हारी यादें । बस यूं ही कट जाएगी ये ज़िंदगी अब तुम्हारी यादों के साथ…………

" और तो कौन है ज़ो मुझको तसल्ली देता
हाथ रख देती है दिल पे तेरी बातें अकसर "

हमारा क्या है ? तुम्हारा प्यार ना मिला तो ना सही, तुम्हारा दिया हुआ गम ही कफ़ी है ज़िंदगी गुज़ारनें के लिए ।

ना तुम मुझे समझ पाई, ना मेरे प्यार को । अगर एक को भी समझ लिया होता, तो खुदा कसम तुम्हारे कदम ही ना उठते मुझसे दूर जानें के लिए । लेकिन इस बेरहम किस्मत का क्या करें । जब किस्मत ने ही ना चाहा, तो क्या करेगा दीवाना ।