हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं । अगर आप उत्तर भारत मे रहते है तो बेशक आपको लगेगा कि हिंदी ही हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं । लेकिन दक्षिण भारत मे जाने के बाद आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि क्या हिंदी ही हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं ? क्योंकि आपको वहां हिंदी में कुछ लिखा नही मिलेगा । वहां पर केवल अंग्रेजी या फ़िर कोई क्षेत्रीय भाषा प्रयोग मे लाई जाती है । और अगर हिंदी मे कुछ लिखा भी होगा तो वो कुछ इस तरह होगा कि आपको अफ़सोस होगा कि हमारी राष्ट्रीय भाषा का ऐसा अपमान । इससे अच्छा तो यही है कि अगर आपको हिंदी नही आती, तो आप उसका प्रयोग ना करें ।
तमन्ना नही अब किसी और मूरत की मुझे । एक तू ही काफ़ी है मंदिर मे सज़ाने के लिए ॥ जमाने भर को हमसे नफ़रत है, तो क्या गम है । एक तू ही काफ़ी है मुझे मौहब्बत सिखाने के लिए ॥ [ Tamanna nahi ab kisi aur moorat ki mujhe. ek tu hi kafi hai mandir me sajane ke liye. jamane bhar ko humse nafrat hai, to kya gum hai. ek tu hi kafi hai mujhe mohabbat sikhane ke liye. ]
शुक्रवार, 25 नवंबर 2011
रविवार, 20 नवंबर 2011
स्वीटी… (सिर्फ यादें )
स्वीटी…
जब इस दिल के किसी कोने में तुम्हारी याद का दिया ज़गमगाता है, तो मेरा पूरा वजूद बस तुम पर सिमट कर रह जाता है । देखता हूं तो तुम्हारा चेहरा, सोचता हूं तो तुम्हारी बातें । तुम्हारी याद एक धुंधली सी तस्वीर से शुरु होती है । उसी चेहरे की तस्वीर, जिसे पहली बार इन निंगाहों ने देखा था और उम्र भर के लिये अपने दिल मे कैद कर लिया था । वही तस्वीर, जिसका ख्याल तक अगर दिल में आ जायें, तो हाथ खुद-ब-खुद दिल को सम्भालने के लिये उठ जाते है । या फ़िर यूं कहो कि……
तेरा दीदार करते ही रब का ख्याल आया ॥
अब ना कोई हसरत बाकी रही दिल में ॥
कैसे कोई इंसान सिर्फ़ यादों के सहारे सारी उम्र गुजार सकता है । यकीन नही होता ना । मुझे भी नही होता था । लेकिन अब सोचता हूं कि कितना गलत था मै । यादें बहुत खूबसूरत होती है । तो क्या उनके साथ ज़िंदगी नही बितायी जा सकती ।
ज़िंदगी तो तभी ज़ी चुके हम ॥
जब नज़र भर के देखा था उन्होने ॥
अब तो बस जी रहे है, यूं ही । शायद कभी उन्हे अहसास हो हमारे दीवानेपन का । और वो लौट आए हमारी बांहों में । खुदा जाने क्या लिखा है हमारी किस्मत में, उनका दीदार या फ़िर इन्तज़ार, इन्तज़ार और सिर्फ़ इन्तज़ार…………।
अब इस दिल का हाल ना पूछो, मुझसे कुछ कहा नही जाता । आखिर क्यों होता है ऐसा ? क्यों कोई दिल में इस तरह से समा जाता है कि किसी और के लिये जगह ही नही बचती । क्यों उसकी यादों को सीने से लगाए बैठा हूं मै, ये जानते हुए भी कि इस राख के ढेर में कुछ भी नही मिलने वाला । लेकिन क्या सिर्फ़ किसी को हासिल कर लेने को ही प्यार कहते हैं । प्यार तो दिल मे होता हैं और उसे दिखावे की जरूरत नही । ये जानते हुए भी, कि वो कभी लौट कर नही आयेगी, मैने उसे जाने दिया । और शायद ही अब कभी उससे मुलाकात हो ।
ना जाने अब उनसे मुलाकात कब होगी ॥
निकल पडे है हम भी अजनबी राहों पर ॥
मंगलवार, 15 नवंबर 2011
इकरार भी कैसा कराया
इकरार भी कैसा कराया उस जालिम ने, जरा देखो तो सही ॥
रोकना पडता है अश्कों को भी पलकों पे मचलने से पहले ।।
शनिवार, 12 नवंबर 2011
स्वीटी - सिर्फ तुम
स्वीटी,
सिर्फ़ एक याद बनकर रह गई हो तुम । हम तो तुम्हारी यादों को इस दिल से लगाए बैठें है । आखिर कब तक इस दिल को यूं ही तडपना होगा तुम्हें याद करके ।
लोग कहते है एक बार शराब चख लो, सारे गम भूल जाओगे । और जो नही पीता, उसे पिलानें वाले भी बहुत मिलते है । लेकिन तुम्हारा ख्याल करते ही बस यही सोचता हूं कि जिसने तुम्हारी आंखों की शराब को चख लिया, उसके लिए कोई नशा बाकी ना रहा । और फिर वो नादान क्या ज़ानें कि……
" ज़ाम छूते ही आता है ख्याल मेरे दिल मे,
तौहीन ना हो ज़ाए कही उनकी निंगाहो की "
एक ही तमन्ना है इस दिल की । बस एक बार दीदार हो जाए उनका, तो इस दिल को सुकून मिल जाएगा । अब तो एक ही गुजारिश करते है…………
" मज़बूर करके मेरे दिल को यार ले चलो
उसकी गली मे फ़िर मुझे इक बार ले चलो "
उम्मीद तो नही है कि उनसे मुलाकात होगी । लेकिन खुदा इतना भी बेरहम नही हो सकता । कभी-ना-कभी, कहीं-ना-कहीं तो वो ज़रूर मिलेंगी इन नज़रों को ।
अब तो बस तुम्हारी यादों के सहारें ही ज़िंदगी कट रही है । ऐसा कोई पल नही, जब तुम्हारी याद इस दिल को ना छूती हो । कभी तुम्हारी बातें, कभी तुम्हारी यादें । बस यूं ही कट जाएगी ये ज़िंदगी अब तुम्हारी यादों के साथ…………
" और तो कौन है ज़ो मुझको तसल्ली देता
हाथ रख देती है दिल पे तेरी बातें अकसर "
हमारा क्या है ? तुम्हारा प्यार ना मिला तो ना सही, तुम्हारा दिया हुआ गम ही कफ़ी है ज़िंदगी गुज़ारनें के लिए ।
ना तुम मुझे समझ पाई, ना मेरे प्यार को । अगर एक को भी समझ लिया होता, तो खुदा कसम तुम्हारे कदम ही ना उठते मुझसे दूर जानें के लिए । लेकिन इस बेरहम किस्मत का क्या करें । जब किस्मत ने ही ना चाहा, तो क्या करेगा दीवाना ।
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