शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

गुरुवार, 25 नवंबर 2010

शाम हो्ते ही



शाम हो्ते ही चिरागो को बुझा देता हूं मै
ये मेरा दिल ही काफ़ी है तेरी यादों में ज़लने के लिये

बुधवार, 24 नवंबर 2010

खुशी



खुशी ही हो हर गम के पीछे ये ज़रूरी तो नही
कभी-कभी गम भी बन ज़ाता है मुस्कुराने की वज़ह।

गुरुवार, 18 नवंबर 2010

तुम



ज़ब दूर चली ज़ाती हो तुम
तब सहा नही ज़ाता मुझसे
ज़ब सामने आ ज़ाती हो तुम
कुछ कहा नही ज़ाता मुझसे

शनिवार, 13 नवंबर 2010

सिर्फ़ तुम



नाम की क्या बात करते हो
चेहरे तक भूल ज़ाते है लोग
तुम समंदर की बात करते हो
यहां तो आँखों में डूब ज़ाते है लोग

गुरुवार, 11 नवंबर 2010

भूल ज़ाता हूं



भूल ज़ाता हूं सब कुछ ज़ब नज़र आता है तेरा चेहरा।

ज़ल्दी बताओ मेरी ज़ान कब आऊं बांध कर सेहरा॥

सोमवार, 8 नवंबर 2010

आँखो ही आँखो में

आँखो ही आँखो में दिल दे दिया हमने
ना तो नाम पूछा और ना ही पता पूछा हमने
अब कहाँ ढूंढू उसे तन्हाइयों के सिवा
नही मिलती वो कहीं दिल की गहराइयों के सिवा