सोमवार, 25 नवंबर 2013

रविवार, 24 नवंबर 2013

तू आजा, आज दिल में बसा लूं तुझको


          तू आजा, आज दिल में बसा लूं तुझको
आंखों में फ़िर से आज सजा लूं तुझको
ना जाना कभी दूर मेरे दर से तू,
खुद के ही घर में आज बुला लूं तुझको


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tu aaja, aaj dil me basa lu tujhko.
aankho me fir se aaj saja lu tujhko.
naa jana kabhi door mere dar se tu,
khud  ke hi ghar me aaj bula lu tujhko.

मेरे आंसू तेरी आंखों से जब


मेरे आंसू तेरी आंखों से जब गिरने लगे हो
हम दूर तेरे शहर से निकलने लगे हो
अंधेरों के सिवा और क्या आलम हो मेहरबां ,
घर रोशन करने वाले दिये जब बुझने लगे हो

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mere aansu teri aankho se jab girne lage ho.
hum door tere shahar se nikalne lage ho.
andhero ke siwa aur kya aalam ho meherba,
ghar roshan karne wale diye jab bujhne lage ho.

रोशनी से गई नफ़रत अब तो


रोशनी से गई नफ़रत अब तो ।
अंधेरों की हो गई आदत अब तो ।।
तिल-तिल के मरना हो गई है जिंदगी मेरी ।
यादों से बचना हो गई आफ़त अब तो ॥
जिंदगी से क्या मिला जख्मों के सिवा ।
चोट खाना लगता है शराफ़त अब तो ॥
छूटने को जान अब बाकी भी क्या बचा । 
दफ़न होने की दो इजाजत अब तो ।।
प्यार में जां देना भी आसां नही होता ।
हो गई "नक्षत्र' की शहादत अब तो ।।

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roshni se ho gayi nafrat ab to.
andhero ki ho gayi aadat ab to.
til-til k marna ho gayi hai jindagi meri,
yado se bachna ho gayi aafat ab to.
jindagi se kya mila zakhmo ke siwa,
chot khana lagta hai sarafat ab to.
chutne ko jaan ab baaki bhi kya bacha,
dafan hone ki do izazat ab to.
pyar me jaa dena bhi aasan nahi hota,
ho gayi 'NAKSHATRA' ki shahadat ab to.

शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

प्रेम-पत्र 10

पलक, 
        मेरी प्रेरणा, मेरा विश्वास हो तुम । अगर तुमसे मेरा साथ छूटा, तो जिंदगी से सांसे छूट जायेंगी, दिल से धडकन जुदा हो जायेगी, आंखों से रोशनी दूर हो जायेगी । तुम्हारे बगैर जीवन की कल्पना, नही , नही, ये कदाचित संभव नही है । तुमसे जुदा होने का विचार मन में आते ही दिल में अचानक घबराहट होने लगती है । ऐसा प्रतीत होता है जैसे मेरा वजूद मुझसे छूटा जा रहा है और मै असहाय-सा उसे जाते हुए देख रहा हूं । ऐसा लगता है कि हमारे प्यार को किसी की नज़र लग गई है । सब कुछ विफ़लता के दरवाजों की ओर जाता दीख रहा है । 

        मै तो तुम्हे सांसों में, दिल में, धडकन में, आंखों में बसा लेना चाहता हूं । तुम्हारे ह्रदय को अपना बना लेना चाहता हूं । तुम्हारे ह्रदय में स्वयं के लिए प्रेम की लौ जलाना चाहता हूं जो शाश्वत जलती रहे और हमारे प्रेम को हमेशा बढाती रहे । मेरी अब एक ही इच्छा शेष है कि मै जीऊं तो तुम्हारे लिए, नही तो सब व्यर्थ । 

        मै इस तथ्य को स्वीकार करता हूं कि जो भी हुआ, उसका दोषी मै, और सिर्फ़ मै, हूं । लेकिन मै नही चाहता कि उसकी सजा तुम भुगतो । अगर तुम मुझसे दूर हुई, तो इस प्रकार तो मेरे साथ-साथ तुम भी दूर होने का कष्ट भोगोगी । मै नही चाहता कि तुम किसी भी कारण से परेशानी में रहो, ना मेरे कारण और ना ही किसी और की वजह से । अगर गलतियां मैने की है तो सजा भी मै ही भुगतूंगा । और शायाद तुम्हारा गुस्से से भरा व्यवहार ही मेरी सजा है । तुम्हारा मुझे सजा देना तो जायज है, किंतु मुझसे रूठना मत, कभी भी नही पलक, कभी भी नही । मेरा बस इतना कहा मान लो कि: 


सजा दो मुझको मेरी खता की ।
ना रूठो मुझसे यूं इस तरह तुम ॥



        पलक, मै अपनी जिंदगी जी चुका हूं । मेरा शेष जीवन सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारा है । तुम जैसे चाहो मेरी जिंदगी जियो । अगर चाहो तो मेरे आंसू पोंछ दो, अन्यथा इन्हे पलकों पर ही सूखकर जम जाने दो । रात में रोते-रोते कब आंखे लग जाती है, पता ही नही चलता , जब थोडा होश आता है और आंखे खुलती है , तो फ़िर से यादों का बवंडर दिल को झकझोर कर घबराहट में डुबा देता हैं । 

        मै ना कोई गिला-शिकवा करना चाहता हूं , और ना ही कोई शिकायत । तुम्हे याद करना चाहता हूं ,तुम्हारी यादों में खोना चाहता हूं , तुम्हारी पलकों पर बसना चाहता हूं , तुम्हारी आंखों में डूबना चाहता हूं । 

        ये समय मेरे लिए बहुत कठिन है पलक । आज मुझे तुम्हारी, तुम्हारे साथ की सबसे ज्यादा आवश्यकता है । मै संभलने का भरसक प्रयास कर रहा हूं । और मुझे ज्ञात है अगर तुमने मेरा साथ दिया तो ही मै संभल पाऊंगा, अन्यथा नही । अब निर्णय तुम्हारे हाथ में है पलक, कि तुम मेरे साथ हो या नही । अगर तुम साथ रही तो संभल जाऊंगा, नही तो खुदा जाने क्या हश्र होगा इस पागल दीवाने का ।

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

मेरे अश्कों में निकलनें की अब हिम्मत नही बाकी



ेरे अश्कों में निकलनें की अब हिम्मत नही बाकी
मौहब्बत में मेरी अब कोई शिकायत नही बाकी
संग तेरे मै चला था, जाने सारा ज़माना,
तुझे छोड के चलनें की अब इजाजत नही बाकी
चल-चल के मेरे पैरों में है पड गए छाले,
किस गली से जाऊं, कोई रस्ता नही बाकी
अब देखता जिधर, है दिखें दुश्मन--दुश्मन,
मै किस को बुलाऊं, कोई फ़रिश्ता नही बाकी
तुझे पाने की चाहत में जाने कितनों को पूजा,
किस पीर को जाऊं, कोई सजदा नही बाकी

- अंकित कुमार 'नक्षत्र'

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mere ashko me nikalne ki ab himmat nahi baki
mohabbat me meri ab koi shikayat nahi baaki
sang tere mai chala tha, jaane saara jamana
tujhe chod ke chalne ki ab izajat nahi baki
chal chal ke mere pairo me hai pad gae chhale
kis gali se jau, koi rasta nahi baaki
ab dekhta jidhar, hai dikhe dushan-o-dushman
mai kis ko bulau, koi farista nahi baaki
tujhe paane ki chahat me jaane kitno ko puja
kis peer ko jau, koi sajda nahi baaki

-ankit kumar 'nakshatra'
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शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

प्रेम-पत्र 9 :: पलक का प्रत्युत्तर


        
        नक्श, क्या आप मेरी सौगंध खाकर कह सकते है कि आप मुझसे प्रेम करते है । नही नक्श नही । आप मुझ्से प्रेम नही करते । आपको तो मात्र अपना मन बहलाने के लिए किसी की आवश्यकता है । चाहे वो मै होऊं या कोई और, आपको इससे कोई फ़र्क नही पडता । ना तो आपके लिए मेरी भावनाओं का कोई मोल है, और ना ही मेरे आंसुंओं का । किसी की भावनाओं को आहत करनें में ही आपकों प्रसन्न्ता का अनुभव होता है । आज मुझे ये अहसास हो रहा है और अब मुझे ये कहने में कोई हिचक नही है कि आप मेरे लायक नही है नक्श, लायक नही है । मै बहुत थक गई हूं नक्श । मुझे प्रेमी के रूप में ऐसे इंसान की जरूरत थी जो कठिन समय में मेरा सहारा बने, मुझे समस्याओं से उबार सकें, मेरी कठिनाइयों को कम कर सके , किंतु यहां तो परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत है । आप मुझे समझना तो दूर, बल्कि और अधिक परेशान करनें को तत्पर रहते हैं  । शायदमुझे कष्टों में देखकर ही आपकों प्रसन्नता होती हो ।

किंतु नक्श क्या आपने कभी ये भी सोचा है कि मै किस अवस्था में रह रही हूं  । एक आप ही तो है जिनसे मै कुछ उम्मीद कर सकती हूं । लेकिन आप भी………। मै कुछ नही चाहती नक्श । आप मुझसे अच्छे से बात भर कर लें । इतने से ही संतोष मिल जायेगा मुझे कि आपने मुझसे अच्छें से बात तो की । अब मै आपसे इससे ज्यादा की उम्मीद भी नही करती ।

ऐसा नही है कि  मेरी चाहत समाप्त हो गई है । अगर आप मेरे विषय में ऐसा सोचते है, तो आप गलतफ़हमी के शिकार है । वैसे भी गलतफ़हमी मे रहना तो आपको अच्छा लगता है । आपका यही व्यवहार मेरे कष्टों का कारण है । आप मेरी समस्या नही हो, मेरी समस्या है आपका व्यवहार । मेरा दिल आज भी आप ही के प्यार के दीयों से रोशन होता है नक्श, आज भी इन आंखों में आप की ही परछाई बनती है, आज भी दिल की सूनी गलियों में आप की ही आवाज़ गूंजती है , और आज भी आपसे मिलन के लिए मेरा ह्रदय व्याकुल रहता है । किंतु आप ना जाने मुझे कब समझ पायेंगे नक्श, ना जाने कब……

- पलक, आपकी यादों में अपलक 

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Kya aap meri saugandh khakar kah sakte hai ki aap mujjhse prem karte hai, nahi naks nhi. aap mujhse prem nhi karte. aapko to matra jee behlaane ke liye kisi ki avashayakta hai. chahe wo mai hau ya koi aur. aapko isse koi fark nhi padta. Na to aapke liye meri bhavnao ka koi mol  hai aur na hi mere aansuo ka. kisi ki bhavnao ko aahat karne me hi aapko prasannta ka anubhav hota hai. aaj mujhe ye ahsaas ho raha hai aur ab mujhe ye kehne me koi hichak nhi ki aap mere layak nahi hai naks, layak nhi hai, mai bahut thak gayi hu naks. mujhe premi ke roop me ek aise insaan ki jarurat thi jo kaThin samay me mera sahara bane, mujhe samasyao se ubaar sake, meri kathinaiyo ko kam kar sake. kintu yaha to sab vipreet hi ho raha hai.Ap mujhe samajhna to door, balki aur adhik paresham karne ko tatpar rehte hai. shayad mujhe kasto me dekhkar hi apko prasanta hoti ho.

Kintu naks kya apne kabhi ye bhi socha hai ki mai ki avastha me rah rahi hu. Ek aap hi to hai jinse mai kuch ummed kar sakti hu.lekin ap bhi. mai kuch nahi chahti naks. ap mujhse achche se baat bhar kar le. Itne se hi santosh mil jayega mujhe ki apne mujhse achche se baat to ki. mujhe aapse isse zyada ki ummed bhi nahi hai

Aisa nhi hai ki meri chahat samapt ho gayi hai. agar aap aisa sochte hai to aap galatfehmi ke shikaar hai. waise bhi galatfehmi me rahna to apko achcha lagta hai.apka yahi vyavahar hi mere kasto ka karan hai. Aap meri samsya nhi ho, meri samasya hai apka vyavahar. mera dil aaj bhi aap hi ke pyaar ke diyo se roshan hota hai naks, aaj bhi in aankho me aapki hi parchaui banti hai, aaj bhi dil ki sooni galiyo me aapki hi aawaaj gunjati hai, aaj bhi aapse milan ke liye mera hradya vyakul rehta hai.kintu aap na jane kab mujhe samajh payenge naks, na jane kab.......

-palak, aapki yado me apalak.
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रविवार, 31 मार्च 2013

ना देखा कभी उसके संग


ना देखा कभी उसके संग है चांद का ढलना
मुश्किल से है सीखा ये हमने गिर के संभलना
ना चैन है कही, ना ही आराम का सबब,
हमने तो सीखा फ़कत उसकी याद में जलना
 
-अंकित कुमार 'नक्षत्र'

na dekha kabhi uske sang hai chand ka dhalna
mushkil se hai sekha ye humne gir ke sambhalna
na chain hai kahi na hi aaraam ka sabab
humne to sekha fakat uski yaad me jalna

-ankit kumar 'nakshatra'

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शनिवार, 23 मार्च 2013

कभी लडखडा जाते थे


कभी लडखडा जाते थे सीढिया चढ़ते हुए 
काँपे नहीं कदम आज मौत की तरफ बढ़ते हुए 

-अंकित कुमार 'नक्षत्र'
[ 'अंत  एक   दीवाने  का 'से साभार  ]

शनिवार, 16 मार्च 2013

प्रेम-पत्र 8

लक,
                तुम्हारे साथ एक छोटी सी मुलाकात के साथ जिंदगी की नई शुरुआत की थी धीरे-धीरे मै तुम्हारे प्रेम में इतनी गहराई से गुंथ गया कि अब तुमसे जुदा होना मेरे लिए संभव नही है जो सपने तुम्हारे साथ देखे थे, जो पल तुम्हारे साथ बिताए थे, उनका स्मरण आते ही तन-मन पुलकित हो उठता है किंतु ह्रदय के किसी कोने में ये भय भी रहता है कि अगर इन सपनों को लेशमात्र भी चोट पहुंची, तो मेरा मन क्षोभ से भर जायेगा मैने कभी भी दिल से नही चाहा कि तुम्हारे मेरे बीच दूरियों को गति मिले परंतु परिस्तिथियों पर किसका वश है ?
                एक तरफ़ तुम श्वेत मोती सी पवित्र, और दूसरी तरफ़ मै निर्लज्जता का आवरण तुम्हारे इस परिवर्तित व्यवहार का कारण भी शायद मै ही हूं मुझे स्वयं की ही गलतियों का परिणाम भुगतना पड रहा है कभी तुम्हारी पलके मेरी बाट जोहती थकती नही थी , और आज तुम्हे मेरी तरफ़ देखने में भी भय महसूस होता है क्या यही मेरी नियति है ? क्या मै इस परिस्तिथि से उबर नही पाऊंगा ? क्या मुझे हमेशा के लिए तुम्हारी नाराज़गी का दंश झेलना पडेगा ?
               
                पलक, तुम्हारे, सिर्फ़ तुम्हारे लिए मैने स्वयं को बदलने की चेष्टा की मै बहुत स्वार्थी हूं मै स्वयं को छोडकर किसी और के बारें में विचार नही करता किंतु जब तुम्हारे बारे में सोचता हूं, तो तुम्हारी यादें चारों ओर के वातावरण में ऐसे ही मंडराने लगती है जैसे फ़ूलों पर भंवरें , तुम्हारी मादक गंध से वातावरण सुगंधित हो जाता है और तुम्हारी मनमोहक मुस्कान से वातावरण प्रफ़ुल्लित हो उठता है
               
                पलक, क्या तुम अपने प्रिय को छोडकर रह पाओगी ?अगर नही रह पाओगी तो क्यों मुझसे इतनी प्रतीक्षा करा रही हो ? क्यों ना इन क्षणों को हम आनंद के साथ जियें लौट आओ पलक, वापस लौट आओ
……प्रतीक्षारत 'नक्षत्र'

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palak,
   
    Tumhare saath ek choti si mulakaat ke saath jindagi ki nayi shuruaat ki thi. dheere dheere mai tumhare prem me itni gehrai se gunth gaya ki ab tumse juda hone mere liye sambhav nahi hai. Jo sapne tumhare saath dekhe they, jo pal tumhare saath bitaye they, unka smaran aate hi tan man pulkit ho uthta hai. kintu hraday ke kisi kone me ye bhay bhi rehta hai ki agar in sapno ko inch matra bhi chot pahunchi to mera man xobh se bhar jayega. maine kabhi dil se nahi chaha ki tumhare mere beech dooriyo ko gati mile.parantu paristithiyo par kiska vash hai.
   
    ek taraf tum safed moti si pavitra, ek taraf mai nirlajjata ka aavaran. tumhare is parivartit vyavahar ka karan bhi shayad mai hi hu.mujhe swayam ki hi galtiyo ka parinaam bhugatna pad raha hai. kabhi tumhari palke meri baat johti thakti nahi thi, aur aaj tumhe meri taraf dekhne me bhi bhay mehsoos hota hai. kya yahi meri niyati hai? kya mai is paristithi se ubar nahi paunga? kya mujhe hamesha hamesha ke liye tumhari narajagi ka dansh jhelna padega?

    palak, tumhare, sirf tumhare liye maine swayam ko badalne ke baare me sochne ki chesta ki. mai bahut swarthi hu. mai swayam ko chhodkar kisi aur ke baare me vichaar nahi karta. kintu jab tumhare baare me sochta hu, to tumhari yaade chaaro aur ke vatavaran me aise hi mandrane lagti hai jaise foolo par bhanware, tumhari madak gandh se vatavaran sugandhit ho jaata hai  , tumhari manmohak muskaan se vatavaran prafullit ho uthta hai.

    Palak, kya tum apne priya ko chhodkar reh paogi? Agar nahi reh paogi to fir kyo mujhse itni pratiksha kara rahi ho? kyo na in xano ko hum anand ke saath bitaye. laut aao palak, wapas laut aao .......

...pratiksharat 'nakshatra'
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