शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

बुधवार, 15 दिसंबर 2010

अब जी चाहता है रोने को


अब जी चाहता है रोने को |
आंसुओ से पलके भिगोने को ||
क्यों याद मुझे आती हो तुम |
क्यों मुझे रुला ज़ाती हो तुम ||
ऐसे तुम याद ना आया करो |
ना ऐसे मुझे रुलाया करो ||
आना है तो सच में आओ |
सारी दुनिया को दिखलाओ ||
तुम आज भी मुझ पे मरती हो |
तुम प्यार मुझ ही से करती हो ||


-अंकित कुमार 'नक्षत्र'

शनिवार, 11 दिसंबर 2010

शिकायत

शिकायत किस ज़बां से मै करूं उनके आने की ।
यही अहसान क्या कम है कि मेरे दिल में रहते है ॥