मंगलवार, 28 सितंबर 2010

पहली बार [कहानी]


पहली बार

वार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मै घर गया हुआ था। घर जाने पर मुझे पता चला कि दस दिन बाद मेरी मौसी के लडके की शादी हैं। मम्मी ने मुझे जाने के लिये बोला तो मै तुरन्त ही जाने के लिये तैयार हो गया। पहले मुझे मामाजी के पास जाना था। उसके बाद मौसी के घर जाना था। इसलिये मै घर से दो दिन पहले ही मामाजी के पास चला गया। फ़िर मै मामाजी के साथ सगाई वाले दिन मौसी के घर गया। जब हम वहां पहुचे तो ज्यादातर मेहमान आ चुके थे। तभी मेरी मौसी की लडकी मेरे पास आई और बोली कि भैया मेरे साथ चलो आपको किसी से मिलवाना है। मैने उससे पुछा कि कौन है लेकिन उसने नही बताया। मैने कहा कि चलो ठीक है मै तुम्हारे साथ चलता हूं। उसने मुझे अपनी सहेली से मिलवाया जो कि मुझसे मिलना चाहती थी। लेकिन जब मैने उससे पूछा कि क्या आप मुझसे मिलना चाहती थी तो उसने मना कर दिया। फ़िर मै जाने लगा तो उसने मेरी बहन से मुझे रोकने के लिये कहा । जैसे ही मै पीछे मुडा तो उसने कहा- " हां, मै ही आपसे मिलना चाहती थी। आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो। " मुझे ये सुनकर बहुत अजीब सा लगा। ऐसा नही था कि वो लडकी मुझे अच्छी नही लगी थी। लेकिन मै उससे पहली बार मिला था। मैने उससे पूछा कि आप मेरे बारे मे कुछ जानती भी हो या फ़िर अभी देखा और अच्छा लगने लगा। उसने मुझे बताया कि जब मै पिछ्ली बार मौसी के घर आया था तब उसने मुझे देखा था। लेकिन तब वो मुझसे बात नही कर पाई थी। फ़िर उसने मेरी बहन की तरफ़ इशारा करके बताया - "मैने इनसे आपके बारे मे पूछा था।" तब मुझे समझ मे आया कि ये सब मेरी बहन की करामात है। मैने उससे कहा कि मै तो तुम्हे अच्छा लगता हू लेकिन ये ज़रूरी तो नही कि मै भी तुम्हे पसन्द करु। वो कहने लगी - "आप मुझे अच्छे लगते हो बाकी मुझे कुछ नही पता।" मैने कहा कि तुम पागल हो; तो कहने लगी जो चाहे समझो। फ़िर उसने मुझे अपना नाम बताया। अनामिका नाम था उसका। मैने कहा कि मेरा नाम तो तुम्हे पता ही होगा। वो बोली कि पता तो है फ़िर भी एक बार आप बताएंगे तो मुझे अच्छा लगेगा। " विजय कहते है दुनिया वाले मुझे। " - मैने कहा। कहने लगी मुझे आपका अंदाज अच्छा लगा। मैने कहा कि मुझे भी तो अपने बारे मे कुछ बताओ। उसने कहा कि पहले ये बताओ कि मै तुम्हे अच्छी लगती हूं या नही। अच्छी तो वो मुझे लग रही थी। मैने कहा कि तुम्हरी आवाज बहुत अच्छी है। वो बोली - "और मै ।" मैने कहा कि हां तुम भी । उसके चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई। मै भी मुस्कुरा दिया। तभी मेरी बहन आ गयी और बोली - " क्या बातें हो रही है दोनो में।" मैने कहा - " कुछ नही ।" तो बोलने लगी - "कोई बात नही भैया। मत बताइये, मै अपनी सहेली से पूछ लूंगी।" मैने कहा - " ठीक है पूछ लेना।" फ़िर मुझसे बोली कि भैया मै अनामिका को अपने साथ ले जाऊं। मैने कहा कि कही भी ले जाओ मुझसे क्या पूछ्ती हो। तो बोली -"भैया, अब तो इसे ले जाने के लिये आपसे ही पूछ्ना पडेगा। "मैने कहा कि ठीक है अब मेरा दिमाग खराब मत कर्। कहने लगी "हां भैया अब तो हम आपका दिमाग खराब कर रहे है।" मैने कहा ठीक है अब तुम जाओ। मैने अनामिका से पुछा कि कितनी देर मे आओगी। तो कहने लगी कि मै तो जाना ही नही चाहती लेकिन क्या करुं मजबूरी है जाना तो पडेगा। मैने कहा - "ठीक है ज़ल्दी आना।"
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…………………………………………………………………………………………………………………बाकी फ़िर

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