रविवार, 30 दिसंबर 2012

मेरी चाहत कि तुझे


मेरी चाहत कि तुझे सांसों से छू लू सनम ।
मेरी तमन्ना कि तुझे आंखों से पी लूं सनम ।।
जाने फ़िर, आयेंगे ये लम्हे कौन जाने, 
इस एक पल में सारी ज़िंदगी को जी लूं सनम ॥

-अंकित  कुमार 'नक्षत्र'

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