गुरुवार, 10 जनवरी 2013

मज़बूरियों का आलम



मज़बूरियों का आलम कुछ इस कदर है सादिक ,
चाहकर भी तेरे शहर से रिश्ता ना तोड पाऊंगा ।

-अंकित कुमार 'नक्षत्र'

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