नव वर्ष मनाने आए है .
हम प्यार सिखाने आए है .
जो बिगड़ गई थी विगत वर्ष ,
वो बात बनाने आए है .
सपने देखे थे जो हमने ,
वो सपने सजाने आए है।
दुःख दर्द पुरातन भूलकर,
आनंद मनाने आए है .
इन्द्रधनुषी रंगों की तरह,
इस जग पर छाने आए है .
भूल गए जो खुशियों के ,
वो गीत गाने आए है .
हम उजड़े घरो को छोड़कर ,
नयी बगिया बसाने आए है .
पीड़ा को मिटाकर हम सबकी ,
उन्हें दिल में समाने आए है .
अपने पराये का भेद मिटा ,
सबको अपना बनाने आए है .
इन बूढी सूनी आँखों में ,
कुछ ख्वाब सजाने आए है .
-अंकित कुमार 'नक्षत्र'
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