शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

खुद्दारी




अमीरे शहर के तोहफे मुझे कबूल नही ।
जो भीख मे मिले तो इज़्ज़त भी छोड आऊगा ॥


जब कुछ नही था हमारे पास, तब भी ना बिके हम ।
अब क्या खाक खरीदेगे ये दुनिया वाले हमे ॥


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