शनिवार, 27 अक्तूबर 2012

अश्क हो रहे है बेकाबू आजकल


अश्क हो रहे है बेकाबू आजकल 
जाने किस तरह पलकों में छिपा रखा है 
इक बेदर्द की यादो को आज भी 
हमने  दिल के आईने में सज़ा रखा है 

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