गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

अभी तो आखिरी इम्तिहान बाकी है



अभी तो आखिरी इम्तिहान बाकी है ।
उनका अभी आखिरी सलाम बाकी है ॥
भूल गये है हम जब सारी खुदाई को ।
होठों पर अभी भी उनका नाम बाकी है ॥
नही आयेंगे वो मय्यत पे मेरी ।
उनका शायद कोई इन्तकाम बाकी है ॥
पीने-औ-पिलाने का दौर भी चलेगा ।
ठहर जाओ दोस्तों अभी शाम बाकी है ॥
एक प्याला डाल देना छुपा के दोस्तो ।
फ़कत अपना आखिरी इक जाम बाकी है ॥
चला जाऊं जिंदगी से दूर मै लेकिन ।
आना उनका आखिरी पैगाम बाकी है ॥
जब नवाजेंगे वो, रुसवाई से मुझे ।
पाना ये आखिरी इनाम बाकी है ॥
खंजर तो उठा लिया हाथों मे उन्होनें,
होना ‘तसव्वुर’ का कत्ले-आम बाकी है ॥

--अंकित कुमार 'तसव्वुर'

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