सोमवार, 8 नवंबर 2010

आँखो ही आँखो में

आँखो ही आँखो में दिल दे दिया हमने
ना तो नाम पूछा और ना ही पता पूछा हमने
अब कहाँ ढूंढू उसे तन्हाइयों के सिवा
नही मिलती वो कहीं दिल की गहराइयों के सिवा

1 टिप्पणी:

  1. मेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
    http://samajik2010.blogspot.com/2010/11/blog-post.html

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