बडा नादान है ये दिल औ कितना नासमझ भी है ।
इसे इज्जत नही दिखती, इसे नफरत
नही दिखती ।।
ये परवा ही नही करता सिवाय चाहने वालो के ।
इसे दौलत नही दिखती, इसे शौहरत
नही दिखती ।।
प्यार के ढाई अक्षर में ये कितना उलझा हुआ है ।
इसे बाते नही दिखती, इसे रातें
नही दिखती ।।
कैसा बेचैन होता है ये, इसका हाल तो देखो ।
इसे जीवन नही दिखता, इसे मृत्यु
नही दिखती ।।
अपनी ही धुन में मस्त होता जा रहा 'नक्षत्र'
इसे मंजर नही दिखता, इसे हस्ती
नही दिखती ।।
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