शनिवार, 29 सितंबर 2012

दीवानगी उनकी


हालात बद से बदतर होते चले गए ।
हम तेरे प्यार में खोते चले गए ॥
तुम मेरी दीवानगी के हो गए थे कायल ।
क्यों मेरी नज़रों से दूर होते चले गए ॥
इंतज़ार तेरा कुछ इस तरह से किया है ।
आंखें खोलकर भी हम सोते चले गए ॥
जुदाई से तेरी, हालात बने कुछ ऐसे ।
हम खुद को अश्कों में डुबोते चले गए ॥
जब आंखें भी तेरी तरह हो गई बेवफ़ा ।
हम दिल के सहारे ही रोते चले गए ॥
खुदा से भी बढकर तुझे चाहा था हमनें ।
सारे अरमां दिल मे दफ़न होते चले गए ।।
तुमने तो वापस मुडकर भी नही देखा, और,
हम अंजान हाथों कत्ल होते चले गए ॥

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