गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

वो ठंडी-ठंडी हवा


वो ठंडी-ठंडी हवा
और तुम्हारी ज़ुल्फ़ों का लहराना ॥
वो छोटी-छोटी बूंदे
और तुम्हारा शरमा ज़ाना ॥
वो बादल का गरज़ना
और मेरे सीने से लिपट ज़ाना ॥
आज़ भी याद आता है
तुमसे मिल कर बिछुड ज़ाना ॥

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